नई सहकारिता नीति पर चर्चा के लिए अगले हफ्ते मंत्रालयों और राज्यों के साथ बैठक, अगले चरण में सहकारी संगठनों के साथ होगी चर्चा
पहली बैठक अगले हफ्ते होगी। इसमें विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों और राज्यों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। बैठक पूरे दिन चलने की उम्मीद है। उसके बाद सहकारी संगठनों, फेडरेशनों और सहकारी क्षेत्र से संबंध संस्थाओं जिसमें नाबार्ड और भारतीय रिजर्व जैसे संस्थानों के साथ बैठक की जाएगी। इन बैठकों के बाद कोऑपरेटिव सेक्टर के लिए नई पॉलिसी के स्वरूप के साथ ही सहाकरी क्षेत्र को अधिक प्रभावी बनाने जैसे मुद्दों पर बातचीत होगी
नवगठित सहकारिता मंत्रालय कोऑपरेटिव सेक्टर के लिए नई पॉलिसी बनाने जा रहा है। इसके लिए वह सभी पक्षों के साथ बैठक करेगा। यह बैठक दो चरणों में होगी। इन बैठकों में मिले सुझावों के आधार पर पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जाएगा। केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने रूरल वॉयस को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि कोऑपरेटिव सेक्टर को कैसे बढ़ावा दिया जा सके।
उक्त अधिकारी ने बताया कि पहली बैठक अगले हफ्ते होगी। इसमें विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों और राज्यों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। बैठक पूरे दिन चलने की उम्मीद है। इस बैठक में सहकारिता क्षेत्र को लेकर अंतरमंत्रालयी स्तर के मुद्दों और अंतर-राज्यीय और केंद्र व राज्यों के स्तर पर सहकारी क्षेत्र से जुड़े मसलों पर बातचीत के साथ ही सहकारिता को एक प्रभावी आर्थिक गतिविधि और रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में मजबूत करने के लिए जरूरी नीतिगत प्रावधानों पर बातचीत की जाएगी।
दूसरे चरण में सहकारी क्षेत्र से संबंधित संस्थाओं भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड सहित उन सभी संस्थाओं के साथ बैठक की जाएगी जिनकी सहकारिता क्षेत्र में भूमिका है। वह भूमिका नियामक के रूप में हो या सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने के के रूप में हो। इसके साथ ही सहकारी क्षेत्र से जुड़े संस्थानों और फेडरेशनों के साथ बैठक की जाएगी। इसमें नेशनल कोआपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई), इफको, अमूल, नेफेड, कृभको और विभिन्न क्षैेत्रों में काम कर रही देश भर की संस्थाएं शामिल होंगी। कोआपरेटिव संगठनों और रिजर्व बैंक आदि के अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी।
सरकार द्वारा सहकारिता का नया मंत्रालय गठित करने के कुछ समय बाद से ही मंत्रालय सहकारिता क्षेत्र के नई नीति लाने पर काम कर रहा है और इस संबंध में जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं। सहकार से समृद्धि के मंत्र को केंद्र में रखकर सहकारिता को एक महत्वपूर्ण आर्थिक विकल्प के रूप में मजबूत करना ही नये मंत्रालय के गठन का मुख्य मकसद है। चालू साल के बजट में सहाकरिता क्षेत्र से जुड़े प्रत्यक्ष कर प्रावधानों में बदलाव कर उनको कारपोरेट जगत के लिए लागू प्रावधानों के बराबर लाया गया है। इसके साथ ही मंत्रालय सहकारिता क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स की ट्रेनिंग के लिए जहां सहकारिता क्षेत्र में मौजूद प्रशिक्षण संस्थानों को अधिक प्रभावी बना रहा है वहीं दूसरे प्रबंधन संस्थानों के साथ भी तालमेल कर रहा है।
इन बैठकों के बाद कोऑपरेटिव सेक्टर के लिए नई पॉलिसी तैयार करने का काम अंतिम चरण में पहुंचने की उम्मीद है।
दरअसल अर्थव्यवस्था के दो प्रमुख सेगमेंट हैं सरकारी क्षेत्र और निजी क्षेत्र। तीसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है कोऑपरेटिव। सरकार का मानना है कि कोऑपरेटिव सेक्टर ज्यादा समावेशी है और इसके माध्यम से ज्यादा लोगों को विकास में सहभागी बनाया जा सकता है।
सहकारिता मंत्रालय का गठन जुलाई 2021 में किया गया था। यह मंत्रालय इन दिनों नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया में है। मंत्रालय ने मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट 2002 में संशोधन के लिए मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज अमेंडमेंट बिल 2022 भी तैयार किया है।